Desh Bhakti Kavita : दोस्तों अगर आप 26 जनवरी या 15 के लिए कोई देश भक्ति कविता ढूंढ रहे हैं। तो हम आपको कुछ ऐसे देश भक्ति कविता देने वाले हैं। जो कि आप इन को याद करके अपने स्कूल या अपने कॉलेजों में बोल सकते हैं।
हम 15 अगस्त और 26 जनवरी को देश भक्ति कविता इसलिए याद रखते हैं। ताकि हम अपने देश के लिए सम्मान की बात कर सकें। देशभक्ति कविता (Desh Bhakti Kavita in Hindi) हमारे देश के लिए और हमारे देश की सेवा करने वालों के बारे में बहुत सारे बताते है इस छोटी सी कहानियां में जिनको हम अपने स्कूल में या अपने कॉलेजों में उसे गाकर लोगों को याद दिलाते हैं
अगर आप देशभक्ति कविता (जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता) ढूंढ रहे तो आप यहां पर देख सकते हैं। हमने आपको काफी सारे देश भक्ति कविता (Desh bhakti kavitayen in hindi) दिए हैं। जिनको आप याद कर सकते हैं और अपने स्कूल और कॉलेजों में उस कविता को गा सकते हैं
तो चलिए देखते हैं कि कौन-कौन से देश भक्ति कविता है जिनको आप अपने स्कूल और कॉलेजों में गा सकते हैं। तो चलिए देखते हैं सबसे अच्छी देशभक्ति कविता, Desh bhakti kavita in english, देशभक्ति कविता छोटी सी, बच्चों देश भक्ति कविता, भारत देश पर कविता, दिनकर की देशभक्ति कविता कौन से है
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Desh Bhakti kavita in Hindi
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हमें मिली आज़ादी देशभक्ति कविता
आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।
व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।
हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।
लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।
हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।
विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।
लेखक – सजीवन मयंक
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देशभक्ति कविता
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है
यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल
हम होंगे कामयाब देशभक्ति कविता
होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ
डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।
होगी शांति चारों ओर
होगी शांति चारों ओर, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
होगी शांति चारों ओर एक दिन।
नहीं डर किसी का आज
नहीं डर किसी का आज एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज एक दिन।
होंगे कामयाब,
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
लेखक – गिरिजा कुमार माथुर
हे मातृभूमि देशभक्ति कविता
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ ।
मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।
माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला;
जिह्वा पे गीत तू हो, तेरा ही नाम गाऊँ ।
जिससे सपूत उपजें, श्रीराम-कृष्ण जैसे ;
उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।
माई समुद्र जिसकी पदरज को नित्य धोकर;
करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।
सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर;
वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।
तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मन्त्र गाऊँ ।
मन और देह तुझ पर बलिदान मैं चढ़ाऊँ ।
न चाहूँ मान दुनिया में देशभक्ति कविता
न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना
मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना
करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख
अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना
लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी
चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना
भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना
लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन
करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना
नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से “बिस्मिल” तुम
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना।।
लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा देशभक्ति कविता
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हरषाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जावे भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
आओ प्यारे वीरों आओ, देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ, प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे, तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
लेखक – श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे देशभक्ति कविता
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे।
परवा नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे।
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं,
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।
लेखक – अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ
जय जय भारतवर्ष प्रणाम देशभक्ति कविता
जय जय भारतवर्ष प्रणाम!
युग-युग के आदर्श प्रणाम!
शत्-शत् बंधन टूटे आज बैरी के प्रभु रूठे आज,
अंधकार हे भाग रहा जाग रहा है तरुण विहान!
जय जाग्रत् भारत संतान,
जय उन्नत जनता सज्ञान !
जय मज़दूर, जयति किसान!
वीर शहीदों तुम्हें प्रणाम!
धूल भरी इन राहों पर पीड़ित जन की आहों पर,
किए उन्होंने अर्पित प्राण वीर शहीदों तुम्हें प्रणाम!
जब तक जीवन मुक्त न हो क्रंदन- बंधन मुक्त न हो
जब तक दुनिया बदल न जाए सुखी शांत संयुक्त न हो !
देशभक्त मतवालों के हम सब हिम्मत वालों के,
आगे बढ़ते चलें कदम, पर्वत चढ़ते चलें क़दम!
लेखक – शंकर शैलेन्द्र
भारत की आरती देशभक्ति कविता
भारत की आरती
देश-देश की स्वतंत्रता देवी
आज अमित प्रेम से उतारती।
निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में
जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में
गाते हों घर में हों या रण में
भारत की लोकतंत्र भारती।
गर्व आज करता है एशिया
अरब, चीन, मिस्र, हिंद-एशिया
उत्तर की लोक संघ शक्तियां
युग-युग की आशाएं वारतीं।
साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे
ऊंच-नीच का विधान नत होवे
साधिकार जनता उन्नत होवे
जो समाजवाद जय पुकारती।
जन का विश्वास ही हिमालय है
भारत का जन-मन ही गंगा है
हिन्द महासागर लोकाशय है
यही शक्ति सत्य को उभारती।
यह किसान कमकर की भूमि है
पावन बलिदानों की भूमि है
भव के अरमानों की भूमि है
मानव इतिहास को संवारती।
लेखक – शमशेर बहादुर सिंह
चल तू अकेला देशभक्ति कविता
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…
लेखक – रवींद्र नाथ ठाकुर
स्वतन्त्रता दिवस देशभक्ति कविता
आज से आजाद अपना देश फिर से!
ध्यान बापू का प्रथम मैंने किया है,
क्योंकि मुर्दों में उन्होंने भर दिया है
नव्य जीवन का नया उन्मेष फिर से!
आज से आजाद अपना देश फिर से!
दासता की रात में जो खो गये थे,
भूल अपना पंथ, अपने को गये थे,
वे लगे पहचानने निज वेश फिर से!
आज से आजाद अपना देश फिर से!
स्वप्न जो लेकर चले उतरा अधूरा,
एक दिन होगा, मुझे विश्वास, पूरा,
शेष से मिल जाएगा अवशेष फिर से!
आज से आजाद अपना देश फिर से!
देश तो क्या, एक दुनिया चाहते हम,
आज बँट-बँट कर मनुज की जाति निर्मम,
विश्व हमसे ले नया संदेश फिर से!
आज से आजाद अपना देश फिर से!
लेखक – हरिवंशराय बच्चन
शहीद की माँ देशभक्ति कविता
इसी घर से
एक दिन
शहीद का जनाज़ा निकला था,
तिरंगे में लिपटा,
हज़ारों की भीड़ में।
काँधा देने की होड़ में
सैकड़ो के कुर्ते फटे थे,
पुट्ठे छिले थे।
भारत माता की जय,
इंकलाब ज़िन्दाबाद,
अंग्रेजी सरकार मुर्दाबाद
के नारों में शहीद की माँ का रोदन
डूब गया था।
उसके आँसुओ की लड़ी
फूल, खील, बताशों की झडी में
छिप गई थी,
जनता चिल्लाई थी-
तेरा नाम सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा।
गली किसी गर्व से
दिप गई थी।
इसी घर से
तीस बरस बाद
शहीद की माँ का जनाजा निकला है,
तिरंगे में लिपटा नहीं,
(क्योंकि वह ख़ास-ख़ास
लोगों के लिये विहित है)
केवल चार काँधों पर
राम नाम सत्य है
गोपाल नाम सत्य है
के पुराने नारों पर;
चर्चा है, बुढिया बे-सहारा थी,
जीवन के कष्टों से मुक्त हुई,
गली किसी राहत से
छुई छुई।
लेखक – हरिवंशराय बच्चन
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Desh bhakti kavita in hindi – दोस्तों हमने आपको इस आटे के माध्यम से आप को सबसे अच्छे देश भक्ति कविता, Desh bhakti kavita hindi mein, Desh bhakti kavita in hindi, दे दिए हैं आप यहां से इनको याद करके अपने स्कूल और कॉलेज गा सकते हैं और दोस्तों या आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं
Q : भारत की देशभक्ति कविता कौन सी है?
Ans : अगर देश भक्ति कविता ढूंढ तो हम आपको बता दें कि देश भक्ति कविता बहुत सारे हैं जिनको आप याद कर सकते हैं
Q : देशभक्ति से क्या तात्पर्य होता है?
Ans : देशभक्ति कविता का तात्पर्य होता है कि हम गाना गाते गाते हैं अपने देश के बारे में बता सके
Q : देशभक्ति कैसे लिखा जाता है?
Ans : देशभक्ति कविता अगर आप लिखना चाहते हैं तो आप अपने देश के महान व्यक्ति के नाम लिख सकते हैं और उनके कारनामे लिख सकते हैं। कि उन्होंने इस देश के लिए क्या-क्या किया और हमारे देश में क्या क्या चीज मौजूद है इसी तरह से देश भक्ति कविता लिखा जाता है
Q : देशभक्ति क्या है 10 लाइन?
Ans : देशभक्ति वही होता है जो अपने देश के लिए कुछ अच्छा करता है या अपने देश के लिए सेवा करता है वही देश भक्ति काल आता है। जैसे कि हमारे इंडियन आर्मी है। जो हमारे लिए हमेशा बॉर्डर पर तैनात रहते हैं और हमारे सरकार के लिए भी है जो हमारे लिए बहुत सारी चीजें करते हैं
Q : देशभक्त कविता का संदेश क्या है?
Ans : देशभक्ति कविता से हमें संदेश मिलता है कि हमें अपना कर्तव्य नहीं भूलना चाहिए। हमारा जो कर्तव्य हमारा देश के लिए वह हमें जरूर करना चाहिए